Facts

संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद: ASI की 1879 की रिपोर्ट ने किया बड़ा खुलासा, इतिहासकारों की क्या है राय?

Sambhal Jama Masjid vs Harihar Temple History Facts:
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। मुख्य सवाल यह है कि क्या इस स्थल पर वास्तव में पहले कोई मंदिर था? आइए जानते हैं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट और इतिहासकारों की राय इस पर क्या कहती है।

Sambhal Kalki Temple 1879 ASI Report:
उत्तर प्रदेश के संभल शहर में शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें चार लोगों की जान चली गई। विवाद का केंद्र यह दावा है कि इस मस्जिद के स्थान पर कभी भगवान विष्णु का हरिहर मंदिर हुआ करता था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कलियुग के अंतिम चरण में यहीं भगवान विष्णु के दसवें अवतार, भगवान कल्कि, का जन्म होगा।

क्या मिलेंगे सवालों के जवाब?

हिंदू पक्ष का दावा है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर इस स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1879 की रिपोर्ट और इतिहासकारों की राय इस पर क्या कहती है? इन दावों की सच्चाई जानने के लिए इतिहास के पन्नों को खंगालना जरूरी हो गया है।

हिंदू पक्ष के वकील का दावा

मशहूर वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि 1526 में मुगल शासक बाबर ने श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद बनवाई थी। वकील का आरोप है कि शाही जामा मस्जिद कमेटी ने इस स्थान पर जबरन अधिकार किया है। इस मामले में अदालत ने मस्जिद में सर्वे करने का आदेश दिया है और 29 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

हिंदू धर्म में संभल का महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कलियुग के अंतिम चरण में भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार कल्कि के रूप में प्रकट होंगे। ऐसा माना जाता है कि कलियुग का अंत और सतयुग की शुरुआत भगवान कल्कि के अवतार के साथ होगी। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित इस पवित्र स्थान को उत्तर प्रदेश के संभल जिले से जोड़ा जाता है। यह भी कहा जाता है कि 1526 में मुगल शासक बाबर ने जिस हरिहर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, वही स्थान भगवान कल्कि के अवतरण का स्थान माना गया है।

इतिहासकारों की राय

इतिहासकार मीनाक्षी जैन और श्री राम शर्मा का कहना है कि बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान, प्राचीन मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने के कई उदाहरण सामने आए। इन मंदिरों में अयोध्या और संभल के मंदिर भी शामिल थे। मीनाक्षी जैन ने 2023 के एक इंटरव्यू में बताया था कि अयोध्या के बाद बाबर द्वारा बनाई गई दूसरी बड़ी मस्जिद संभल में स्थित है। उनका कहना है कि बाबर ने अपने सेनापति को आदेश दिया था कि संभल के हरिहर मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद का निर्माण किया जाए। मस्जिद पर मौजूद शिलालेख इस बात की पुष्टि करते हैं कि उस स्थान पर पहले एक मंदिर हुआ करता था।

बाबरनामा में संभल का उल्लेख
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने अदालत में बाबर की आत्मकथा बाबरनामा का उल्लेख करते हुए दावा किया कि 933 हिजरी में बाबर ने संभल के एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदलने का आदेश दिया था। जैन का कहना है कि बाबर का यह आदेश आज भी मस्जिद में मौजूद शिलालेख के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, कुछ लोगों का दावा है कि जामा मस्जिद में मौजूद यह शिलालेख वास्तविक नहीं है और इसे झूठा करार दिया गया है।

क्या कहती है ASI रिपोर्ट?

1879 की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) रिपोर्ट के अनुसार, जामा मस्जिद में एक पत्थर के स्लैब पर बाबर का शिलालेख मौजूद है। स्थानीय हिंदुओं का यह भी दावा है कि स्लैब के पीछे मंदिर का मूल शिलालेख छिपा हुआ है। इन दावों की सत्यता को लेकर चल रही जांच की रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी, जिसके बाद इस मामले में और स्पष्टता आ सकती है।

कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास
इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाही जामा मस्जिद से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित कल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखी थी। इस मंदिर का निर्माण कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है, जिसकी अध्यक्षता आचार्य प्रमोद कृष्णम कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *