राजकीय शोक: Ratan Tata के निधन पर कौन-कौन सी सेवाएं और संस्थान रहेंगी बंद?
रतन टाटा के निधन के बाद पूरे देश में शोक की भावना व्याप्त है। इस कारण कई राज्यों में राजकीय शोक की घोषणा की गई है। लेकिन राजकीय शोक क्या होता है? क्या इसके दौरान छुट्टी अनिवार्य होती है? और इसे घोषित करने का अधिकार किसके पास होता है? जानिए इन सभी सवालों के जवाब।
उद्योगपति रतन टाटा का हाल ही में निधन हो गया, जिससे देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। रतन टाटा को लोग एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखते हैं, और भारत के साथ-साथ विदेशों में भी उन्हें बेहद सम्मान प्राप्त था। उनके निधन की खबर के बाद कई राज्यों में राजकीय शोक घोषित किया गया है। अक्सर किसी बड़ी शख्सियत के सम्मान में राजकीय शोक का ऐलान होता है, जिसके दौरान कई सरकारी कामकाज ठप हो जाते हैं। लेकिन, इसका ऐलान कौन करता है? और इसका वास्तविक मतलब क्या होता है? इस लेख में जानिए इससे जुड़ी सभी जानकारी।
किन राज्यों में राजकीय शोक का ऐलान हुआ?
रतन टाटा का अंतिम संस्कार गुरुवार को मुंबई के वर्ली में किया जाएगा। उनके निधन पर देशभर की कई जानी-मानी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके सम्मान में राज्य में राजकीय शोक की घोषणा की है। इस शोक के चलते सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। झारखंड राज्य ने भी राजकीय शोक का ऐलान किया है।
क्या राजकीय शोक के दौरान छुट्टी जरूरी है?
राजकीय शोक और राजकीय अवकाश दोनों एक जैसे नहीं होते। जब किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन होता है, तो राजकीय शोक की घोषणा की जाती है। इस दौरान भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, तिरंगे को आधा झुकाया जाता है। हालांकि, राजकीय शोक के दौरान सार्वजनिक अवकाश की घोषणा आवश्यक नहीं होती।
कौन करता है राजकीय शोक की घोषणा?
पहले के नियमों के अनुसार, राजकीय शोक की घोषणा केवल प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, या केंद्रीय मंत्रियों के निधन पर की जाती थी। लेकिन अब यह किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए किया जा सकता है जिसने देश के सम्मान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। इस घोषणा का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है। राजनीति, विज्ञान, साहित्य, कला, और कानून जैसे क्षेत्रों में योगदान देने वाले लोग इस सम्मान के पात्र हो सकते हैं।
शोक कितने दिनों तक रहता है?
पहले, राजकीय शोक की घोषणा के लिए राष्ट्रपति की अनुमति जरूरी होती थी, लेकिन अब राज्य के मुख्यमंत्री इसे अपने विवेक से घोषित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, मुलायम सिंह यादव के निधन पर 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का शोक रखा गया था। शोक की अवधि राज्य सरकार अपनी आवश्यकता और परिस्थितियों के अनुसार तय करती है।