चुनाव हारने पर भड़के पूर्व विधायक, बेटियों के लिए फ्री बस सेवा की बंद… बोले- अब नए MLA से मांगो बसें
Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा के एक पूर्व विधायक ने चुनाव हारने के बाद अपनी ओर से बेटियों के लिए चलाई जा रही फ्री बस सेवा बंद कर दी। यह सेवा उन्होंने पिछला चुनाव जीतने के बाद शुरू की थी, जिससे बेटियों को कॉलेज आने-जाने में मदद मिलती थी। अब चुनाव हारने के तुरंत बाद इन बसों को बंद कर दिया गया है, जिससे छात्राओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
Meham Assembly Seat Result 2024: हरियाणा के रोहतक जिले में एक पूर्व विधायक बलराज कुंडू चर्चा में हैं। महम सीट से इस बार चुनाव हारने के बाद उन्होंने बेटियों के लिए चल रही मुफ्त बस सेवा को बंद कर दिया है। हरियाणा जनसेवक पार्टी के प्रमुख कुंडू का कहना है कि अब नए विधायक को यह सेवा संचालित करनी चाहिए। चुनाव में हार के बाद उनका गुस्सा साफ नजर आ रहा है। उन्होंने अपने समर्थकों की एक मीटिंग बुलाई, जिसमें हार के कारणों पर चर्चा की गई।
समर्थकों ने कहा कि कुंडू ने अपने क्षेत्र में फ्री बस सेवा शुरू की थी, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में बेटियों को ले जाने वाली बसों को बंद कर दिया जाए, क्योंकि समाजसेवा का उनके लिए कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला। इस पर सभी 18 बसें बंद करने का निर्णय लिया गया।
रोहतक शहर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए ये बसें चलती थीं, जो बेटियों को सुबह घर से ले जाती थीं और शाम को वापस छोड़ती थीं। कुंडू ने कहा कि हार के बाद वह दुखी हैं और उन्होंने समाजसेवा राजनीति के लिए नहीं की थी। कार्यकर्ताओं ने सुझाव दिया कि अब नए विधायक को ही बेटियों के लिए बसें चलानी चाहिए। बता दें कि यह बस सेवा 2017-2018 में शुरू हुई थी, जिसमें शुरुआत में 8 बसें थीं, बाद में इनकी संख्या बढ़ाकर 18 की गई। ये बसें महम हलके के 42 गांवों को कवर करती थीं। इस बार महम सीट से कांग्रेस के बलराम दांगी जीते हैं, जिनके पिता के साथ वोटिंग के दिन कुंडू का विवाद भी हुआ था।
हजारों छात्राओं को मिलता था फायदा
इन बसों का लाभ हजारों छात्राओं को प्रतिदिन मिलता था, और इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती थी। बस सेवा शुरू करने का उद्देश्य बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। ये बसें रोहतक से 30-40 किलोमीटर दूर के गांवों में चलती थीं, और प्रत्येक बस रोजाना 100 किलोमीटर का सफर तय करती थी। बसें बंद होने के बाद अब छात्राओं को रोहतक पहुंचने के लिए दूसरी सरकारी बसों या ऑटो का सहारा लेना पड़ेगा।