Zomato, स्विगी, ओला और उबर पर लगेगी वेलफेयर फीस? जानें क्या होगा आपके लिए
Karnataka introduces New Fee Transactions: कर्नाटका सरकार ने जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर जैसी कंपनियों पर नया शुल्क लागू किया है। आइए जानें कि क्या इसका आप पर कोई प्रभाव पड़ेगा।

Karnataka introduces New Fee Transactions: कर्नाटक सरकार ने स्विगी, ओला, उबर और जोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर लेन-देन के लिए एक नया शुल्क लागू किया है। यह शुल्क गिग वर्कर्स, जैसे डिलीवरी और ड्राइवरों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक फंड बनाने के उद्देश्य से लगाया गया है। सरकार का दावा है कि यह राशि गिग वर्कर्स के लिए विशेष कल्याण फंड में जाएगी, जिससे उनकी सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रखा जा सके।
ग्राहकों को चुकाना पड़ेगा यह शुल्क?
यह शुल्क केवल ट्रांसपोर्टेशन सेवाओं पर लागू होगा, यानी ग्राहकों द्वारा खरीदी गई वस्तुओं पर नहीं। इस योजना के तहत, सरकार इन प्लेटफॉर्म्स से 1-2% का शुल्क लेगी, जिसका उपयोग गिग वर्कर्स की सहायता के लिए किया जाएगा। हालांकि, संभावना है कि ये शुल्क अंततः ग्राहकों पर भी डाल दिए जाएंगे, जिससे सेवाओं की कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं। इस फैसले का उद्देश्य कर्नाटक सरकार द्वारा गिग वर्कर्स को बेहतर सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान करना है, क्योंकि वे अनॉर्गनाइज़्ड सेक्टर में काम करते हैं और उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
इससे पहले, 18 अक्टूबर को Moneycontrol की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि राज्य सरकार Zomato, Swiggy, Zepto और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर 1-2 प्रतिशत का वेलफेयर शुल्क लगाने की योजना बना रही है। रिपोर्ट के अनुसार, यह राशि डिलीवरी सेवाओं में कार्यरत गिग वर्कर्स के समर्थन के लिए एक विशेष कल्याण बोर्ड को ट्रांसफर की जाएगी।
विंटर सेशन में पेश किया जा सकता है यह विधेयक
यह पहल सरकार के मसौदा प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) विधेयक, 2024 के संदर्भ में आई है, जिसका उद्देश्य गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करना है। यह विधेयक दिसंबर में होने वाले विंटर सेशन में राज्य विधानसभा में पेश होने की संभावना है। हालांकि यह शुल्क एग्रीगेटर प्लेटफार्मों द्वारा एकत्रित किया जाएगा, लेकिन यह अत्यधिक संभव है कि इसका बोझ अंततः ग्राहकों पर डाला जाएगा, जिससे सेवाएं महंगी हो सकती हैं।
32 दौर की हुई बैठकें
श्रम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने विभिन्न हितधारकों के साथ 32 दौर की बैठकें की हैं, जिसमें लगभग 26 एग्रीगेटर, गिग वर्कर्स यूनियन, नागरिक समाज समूह और वकील शामिल थे। इसके साथ ही, सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, NASSCOM (नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज) और CII (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) जैसे संगठनों के साथ भी चर्चा की गई है।