News

5 साल तक चलती रही फर्जी अदालत: जज, वकील और स्टाफ सब नकली, जारी हुए आदेश

गुजरात में एक व्यक्ति द्वारा पांच साल तक फर्जी अदालत चलाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस दौरान उसने खुद को जज घोषित कर रखा था और नकली वकीलों तथा स्टाफ के साथ मिलकर अदालत की कार्यवाही करता था। इतना ही नहीं, उसने कई आदेश भी जारी किए। पुलिस ने इस फर्जी जज को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है।

इससे पहले भी गुजरात में फर्जी अधिकारियों के मामले सामने आ चुके हैं। जुलाई 2024 में, राजकोट के मलियान के पिपलिया गांव में एक फर्जी स्कूल का पता चला था, जिसे एक कपल द्वारा कमीशन के सहारे चलाया जा रहा था। जिला शिक्षा विभाग ने स्कूल को सील कर दिया और कपल को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी|

इसी तरह, अगस्त 2024 में सूरत में एक फर्जी आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तार किया गया था, जो गुजरात सरकार के होटलों में पार्टनरशिप देने के नाम पर लोगों से ठगी कर रहा था। उसके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे और पुलिस ने उसके मोबाइल से आईपीएस वर्दी पहने हुए फोटो भी बरामद किए थे

इन घटनाओं से पता चलता है कि गुजरात में फर्जीवाड़े के ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।

Gujarat Fake Judge and Court: गुजरात के अहमदाबाद से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। एक व्यक्ति ने खुद को जज बना लिया, एक अदालत स्थापित की, और वहां स्टाफ भी रखा। इसके बाद वह सुनवाई करने लगा और विभिन्न मामलों में आदेश जारी करने लगा। लगभग पांच वर्षों तक यह व्यक्ति अपनी गतिविधियों को जारी रखता रहा, लेकिन जब उसका सच सामने आया, तो चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ।

पूरा मामला क्या है?

मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन नामक इस व्यक्ति ने गांधीनगर में असली अदालत जैसा माहौल तैयार किया और वहां अपने मुवक्किल के पक्ष में आदेश पारित करना शुरू किया। 2019 में, उसने सरकारी जमीन से जुड़े एक मामले में आदेश दिया, जिससे स्पष्ट हुआ कि वह पिछले पांच साल से फर्जी अदालत चला रहा था। अहमदाबाद के सिटी सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा की गई शिकायत के बाद इस फर्जी अदालत का भंडाफोड़ हुआ।

फंसाने की रणनीति

सूत्रों के अनुसार, जज क्रिश्चियन उन लोगों को निशाना बनाता था जिनके भूमि विवाद सिविल कोर्ट में चल रहे थे। वह मामले को निपटाने के नाम पर लोगों से पैसे लेता था और खुद को कोर्ट द्वारा नियुक्त आधिकारिक मध्यस्थ बताता था। वह लोगों को अपने कार्यालय में बुलाता, जिसे उसने अदालत जैसा बनाया था। जब वह सुनवाई करता, तो उसके साथी वकील और अन्य स्टाफ भी कोर्ट के माहौल को बनाए रखते थे।

भंडाफोड़ कैसे हुआ?

हाल ही में, कोर्ट रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को यह जानकारी मिली कि क्रिश्चियन न तो आधिकारिक मध्यस्थ है और न ही उसके द्वारा जारी किए गए आदेश असली हैं। इसके बाद, उन्होंने मामला दर्ज करवाया, और करंज पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान यह भी पता चला कि आरोपी के खिलाफ 2015 में शहर के मणिनगर पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी की शिकायत भी दर्ज थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *