शांतनु नायडू: रतन टाटा के अंतिम दिनों के सबसे करीबी, जानें कैसे बनी थी दोनों की अनोखी दोस्ती
Ratan Tata and Shantanu Naidu: रतन टाटा के निधन के बाद उनके बेहद करीबी शांतनु नायडू ने एक भावुक पोस्ट साझा किया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लेकिन आखिर शांतनु नायडू कौन हैं, और उनकी और रतन टाटा की दोस्ती की शुरुआत कैसे हुई?
Ratan Tata and Shantanu Naidu: रतन टाटा ने बुधवार रात इस दुनिया को अलविदा कह दिया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। मुंबई में उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। हर कोई अपने-अपने तरीके से रतन टाटा को याद कर रहा है। उनके सबसे करीबी माने जाने वाले शांतनु नायडू ने एक भावुक पोस्ट लिखा है, जो लोगों के दिलों को छू रहा है। बताया जाता है कि रतन टाटा के अंतिम दिनों में उनके सबसे करीब शांतनु नायडू थे, जिन पर वे पूरा भरोसा करते थे।
बिजनेस, राजनीति, प्रशासन, खेल, और बॉलीवुड जैसी तमाम क्षेत्रों की हस्तियों ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी है। लेकिन उनके करीबी लोग, जो उन्हें बहुत करीब से जानते थे, सबसे ज्यादा दुखी हैं। शांतनु नायडू, जिन्हें रतन टाटा के सबसे करीबी लोगों में गिना जाता है, ने सोशल मीडिया पर उनके साथ एक भावुक पोस्ट साझा किया है।
रतन टाटा के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए शांतनु ने लिखा, “इस दोस्ती ने मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, उसे भरने की कोशिश में मैं पूरी जिंदगी बिता दूंगा। प्यार के लिए दुख ही कीमत है। अलविदा, मेरे प्यारे चिराग।
कौन हैं शांतनु नायडू?
शांतनु नायडू, रतन टाटा से करीब 55 साल छोटे हैं, लेकिन दोनों को सबसे अच्छे दोस्त माना जाता है। उनकी दोस्ती के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। शांतनु का रतन टाटा से पारिवारिक रिश्ता नहीं था, बल्कि उनके एक सामाजिक कार्य से रतन टाटा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद शांतनु को फोन किया और उनसे बातचीत की। यहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई, और दोनों साथ मिलकर काम करने लगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शांतनु रतन टाटा को बिजनेस आइडियाज और सुझाव भी देते थे।
शांतनु का जन्म 1993 में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ। वे एक बिजनेसमैन, इंजीनियर, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और लेखक भी हैं। उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वे 2017 से टाटा ट्रस्ट के साथ काम कर रहे हैं। शांतनु 2016 में अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से MBA करने के बाद टाटा ट्रस्ट से जुड़े।
क्यों हुई रतन टाटा और शांतनु की दोस्ती?
रतन टाटा की जानवरों के प्रति गहरी संवेदनशीलता थी, और शांतनु नायडू भी स्ट्रीट डॉग्स की मदद के लिए काम कर रहे थे। शांतनु मुंबई की सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों के गले में रिफ्लेक्टर लगाने की पहल कर रहे थे ताकि रात में वे सुरक्षित रहें। उन्होंने अपने प्रयासों से लगभग 500 कुत्तों को रिफ्लेक्टर पहनाए। एक दिन उनकी इस पहल की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए रतन टाटा तक पहुंची, जिसने उन्हें प्रभावित किया। रतन टाटा ने खुद शांतनु को फोन किया, बातचीत हुई और फिर एक मीटिंग के बाद, शांतनु टाटा ग्रुप से जुड़ गए। आज टाटा के लगभग हर ऑफिस में स्ट्रीट डॉग्स के लिए व्यवस्थाएं हैं। मुंबई में टाटा की ओर से शुरू किए गए स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल के डायरेक्टर भी शांतनु हैं।