अद्भुत! दिवाली के बाद यहां होती है सांपों की अदालत, इंसानों को काटने का बताया कारण
Madhya Pradesh News: 31 अक्टूबर को देशभर में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। दिवाली के बाद मध्यप्रदेश में एक अनोखी अदालत का आयोजन होता है, जिसमें सांपों को लाया जाता है। यह अदालत पिछले 100 सालों से लगातार आयोजित की जा रही है।
Madhya Pradesh News Vijendra Singh Rana: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 30 किलोमीटर दूर सीहोर जिले का लसूड़िया परिहार नामक गांव है, जहां दिवाली के बाद पड़वा के दिन एक अनोखी अदालत लगती है। इस अदालत में इंसानों की पेशी नहीं होती, बल्कि सांपों की पेशी होती है, जहां वे इंसानों को काटने के कारण बताते हैं। यह अनोखी परंपरा पिछले 100 सालों से चली आ रही है।
सांपों की अदालत में क्या होता है?
यह वही गांव है जहां अगर किसी को सांप काट लेता है, तो लोग इलाज के लिए अस्पताल नहीं, बल्कि मंदिर जाते हैं। इसके अलावा, दिवाली के अगले दिन एक विशेष अदालत का आयोजन होता है, जिसमें सांप आकर बताता है कि उसने किसी व्यक्ति को क्यों काटा। इस चमत्कारी घटना को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और इस अवसर पर करीब 15 हजार लोग इकट्ठा होते हैं। यह परंपरा 100 साल से चली आ रही है।
सांप बताते हैं डसने का कारण
अदालत में पेशी के दौरान सांप इंसानी शरीर में आते हैं और उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसी व्यक्ति को क्यों काटा। सांप इंसान के रूप में अपना कारण बताते हैं—जैसे किसी ने उनके ऊपर पैर रख दिया था या उन्हें परेशान किया था। पेशी के दौरान सांप से यह वादा भी लिया जाता है कि भविष्य में ऐसा फिर नहीं होगा। इस अद्भुत नजारे को हर साल दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर देखा जाता है, और यहां उन लोगों का जमावड़ा होता है जिन्हें कभी किसी सांप ने काटा होता है।
अदालत के जज होते हैं पंडित
जैसे ही अदालत की शुरुआत होती है, सांप की आकृति वाली थाली को नगाड़े की तरह बजाया जाता है। इसके बाद, जिन लोगों को कभी सांप ने काटा होता है, वे झूमने लगते हैं। सभी सर्पदंश के पीड़ित एक-एक कर पंडित के सामने आते हैं, और यहीं से अदालत की कार्रवाई शुरू होती है। पंडित ही इस अदालत के जज होते हैं, और वे सांपों से जुड़े सवालों के जवाब लेते हुए प्रक्रिया की अगली दिशा तय करते हैं।