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फुटपाथ पर गुब्बारे से चर्च में रातें: MRF के मालिक मैम्मेन मप्पिलाई की सफलता की कहानी

KM Mammen Mappillai की सफलता की कहानी: मैम्मेन मप्पिलाई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रिट्रेडिंग प्लांट के लिए ट्रेड रबर की आपूर्ति कर रही थी। इस अवसर को भांपते हुए, मैम्मेन ने ट्रेड रबर फैक्ट्री स्थापित करने का विचार किया। उन्होंने अपनी सारी बचत को इस बिजनेस में निवेश करने का निर्णय लिया, और इस तरह ट्रेड रबर बनाने के क्षेत्र में कदम रखा।

KM Mammen Mappillai की सफलता की कहानी: सफलता धैर्य, मेहनत और मजबूत इरादे की मांग करती है। जिन्होंने अपनी जिंदगी के शुरुआती साल फुटपाथ पर बिताए हैं, वे भी ऐसी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं जो प्रेरणादायक होती हैं। मद्रास रबर फैक्ट्री, यानी MRF, की कहानी भी इसी तरह की है। इस सफलता की कहानी में हम MRF के संस्थापक केएम मैम्मेन मप्पिलाई की यात्रा पर नजर डालेंगे, जिन्होंने गुब्बारे बेचने से शुरुआत की और जल्द ही भारत में टायर उद्योग का प्रमुख चेहरा बन गए। आज उनकी कंपनी के ब्रैंड एंबेसडर विराट कोहली जैसे स्टार क्रिकेटर हैं, जबकि कुछ वर्षों पहले सचिन तेंदुलकर भी इस भूमिका में थे।

मैम्मेन मप्पिलाई की कहानी की शुरुआत 1922 में होती है, जब उनका जन्म केरल के एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता एक बड़े कारोबारी थे, जिनके पास बैंक और समाचार पत्रों का व्यवसाय था। लेकिन एक कानूनी मामले के कारण, त्रावणकोर के राज परिवार ने उनकी संपत्ति जब्त कर ली और उनके पिता को दो साल की जेल की सजा सुनाई। उस समय मैम्मेन मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। पिता की गिरफ्तारी के बाद, उनका परिवार सड़क पर आ गया, और मैम्मेन को अपने भाई-बहनों के साथ गुब्बारे बेचने का काम शुरू करना पड़ा। कठिन हालात के बावजूद, मैम्मेन ने हार नहीं मानी और सेंट थॉमस चर्च में रातें बिताईं।

विदेशी कंपनियों से सीधा मुकाबला:

1952 में, मैम्मेन ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रिट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की सप्लाई कर रही थी। इससे प्रेरित होकर, उन्होंने ट्रेड रबर फैक्ट्री स्थापित करने का निर्णय लिया। मैम्मेन ने अपनी सारी बचत इस व्यवसाय में निवेश की और मद्रास रबर फैक्ट्री की स्थापना की, जो भारत की पहली ट्रेड रबर बनाने वाली कंपनी थी। उस समय भारत में रबर बनाने वाली कोई स्वदेशी कंपनी नहीं थी, और उनका मुकाबला विदेशी कंपनियों से था। मैम्मेन को शानदार शुरुआत मिली और फैक्ट्री का व्यवसाय तेजी से बढ़ने लगा। 1956 तक, उन्होंने टायर उद्योग में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली।

1960 बना MRF के लिए टर्निंग प्वाइंट

1960 MRF के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस वर्ष, MRF ने ट्रेड रबर के साथ-साथ टायर बाजार में प्रवेश करने की योजना बनाई। मैम्मेन मप्पिलाई ने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी से तकनीकी सहायता प्राप्त की और एक टायर निर्माण इकाई स्थापित की। रिपोर्ट्स के अनुसार, 1961 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने इस टायर फैक्ट्री का उद्घाटन किया। उसी साल, MRF की फैक्ट्री से पहला टायर तैयार हुआ और मैम्मेन ने कंपनी का आईपीओ लॉन्च किया।

विराट कोहली हैं MRF के ब्रैंड एंबेसडर

1992 में, मैम्मेन मप्पिलाई को टायर उद्योग में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2003 में उनका निधन हो गया। आज, MRF दुनिया के टायर उद्योग का दूसरा सबसे बड़ा ब्रांड है, जिसकी बाजार पूंजीकरण 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। स्टार क्रिकेटर विराट कोहली वर्तमान में MRF के ब्रैंड एंबेसडर हैं। कंपनी का मुख्यालय चेन्नई में स्थित है और यह टायरों के साथ-साथ रबर उत्पादों जैसे धागे, ट्यूब, कन्वेयर बेल्ट, पेंट और खिलौने भी बनाती है

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